Showing posts with label हास्य कविता. Show all posts
Showing posts with label हास्य कविता. Show all posts

Sunday 19 February 2017

खटमल-मच्छर-युद्ध / काका हाथरसी हास्य कविता Hasya kavita

'काका' वेटिंग रूम में फँसे देहरादून ।
नींद न आई रात भर, मच्छर चूसें खून ॥
मच्छर चूसें खून, देह घायल कर डाली
हमें उड़ा ले ज़ाने की योजना बना ली
किंतु बच गए कैसे, यह बतलाएँ तुमको
नीचे खटमल जी ने पकड़ रखा था हमको

हुई विकट रस्साकशी, थके नहीं रणधीर ।
ऊपर मच्छर खींचते नीचे खटमल वीर ॥
नीचे खटमल वीर, जान संकट में आई ।
घिघियाए हम- "जै जै जै हनुमान गुसाईं
पंजाबी सरदार एक बोला चिल्लाके - |
त्व्हाणूँ पजन करना होवे तो करो बाहर जाके ॥

अन्य 

व्यर्थ / काका हाथरसी हास्य कविता Hasya kavita

काका या संसार में, व्यर्थ भैंस अरु गाय ।
मिल्क पाउडर डालकर पी लिपटन की चाय ॥
पी लिपटन की चाय साहबी ठाठ बनाओ ।
सिंगल रोटी छोड़ डबल रोटी तुम खाओ ॥
कहँ ‘काका' कविराय, पैंट के घुस जा अंदर ।
देशी बाना छोड़ बनों अँग्रेजी बन्दर ॥
जप-तप-तीरथ व्यर्थ हैं, व्यर्थ यज्ञ औ योग ।
करज़ा लेकर खाइये नितप्रति मोहन भोग ॥
नितप्रति मोहन भोग, करो काया की पूजा ।
आत्मयज्ञ से बढ़कर यज्ञ नहीं है दूजा ॥
कहँ ‘काका' कविराय, नाम कुछ रोशन कर जा ।
मरना तो निश्चित है करज़ा लेकर मर जा॥

अन्य 

चोरी की रपट / काका हाथरसी हास्य कविता Hasya kavita

घूरे खाँ के घर हुई चोरी आधी रात ।
कपड़े-बर्तन ले गए छोड़े तवा-परात ॥
छोड़े तवा-परात, सुबह थाने को धाए ।
क्या-क्या चीज़ गई हैं सबके नाम लिखाए ॥
आँसू भर कर कहा – महरबानी यह कीजै ।
तवा-परात बचे हैं इनको भी लिख लीजै ॥
कोतवाल कहने लगा करके आँखें लाल ।
उसको क्यों लिखवा रहा नहीं गया जो माल ॥
नहीं गया जो माल, मियाँ मिमियाकर बोला ।
मैंने अपना दिल हुज़ूर के आगे खोला ॥
मुंशी जी का इंतजाम किस तरह करूँगा ।
तवा-परात बेचकर 'रपट लिखाई' दूँगा ॥

अन्य 

आधुनिकता / काका हाथरसी हास्य कविता Hasya kavita

पाश्चात्य संतान है, अधिक आधुनिक ट्रेंड ।
प्रथम फ्रैंडशिप, बाद में, वाइफ या हस्बैंड ॥
वाइफ या हस्बैंड, कहे बेटी से मम्मी ।
बॉयफ्रैंड के बिना लगे तू मुझे निकम्मी ॥
फादर कहते, बेटा तुझ पर क्यों है सुस्ती ।
गर्ल् फ्रैंड कर ले तलाश आ जाए चुस्ती॥

अन्य 

मरने से क्या डरना / काका हाथरसी हास्य कविता Hasya kavita

नियम प्रकृति का अटल, मिटे न भाग्य लकीर।
आया है सो जाएगा राजा रंक फ़कीर॥
राजा रंक फ़कीर चलाओ जीवन नैय्या।
मरना तो निश्चित है फिर क्या डरना भैय्या॥
रोओ पीटो, किंतु मौत को रहम न आए।
नहीं जाय, यमदूत ज़बरदस्ती ले जाए॥
जो सच्चा इंसान है उसे देखिये आप।
मरते दम तक वह कभी करे न पश्चाताप॥
करे न पश्चाताप, ग़रीबी सहन करेगा।
लेकिन अपने सत्यधर्म से नहीं हटेगा॥
अंत समय में ऐसा संत मोक्ष पद पाए।
सत्यम शिवम सुन्दरम में वह लय हो जाए॥
जीवन में और मौत में पल भर का है फ़र्क।
हार गए सब ज्योतिषी फेल हो गए तर्क॥
फेल हो गए तर्क, उम्र लम्बी बतलाई।
हार्ट फेल हो गया दवा कुछ काम न आई॥
जीवन और मौत में इतना फ़र्क जानिए।
साँस चले जीवन, रुक जाए मौत मानिए॥

अन्य 

सवाल में बवाल / काका हाथरसी हास्य कविता Hasya kavita

रिंग रोड पर मिल गए नेता जी बलवीर ।
कुत्ता उनके साथ था पकड़ रखी ज़ंजीर
पकड़ रखी जंजीर अल्सेशियन था वह कुत्ता ।
नेता से दो गुना भौंकने का था बुत्ता ॥
हमने पूछा, कहो, आज कैसे हो गुमसुम ।
इस गधे को लेकर कहाँ जा रहे हो तुम ॥
नेता बोले क्रोध से करके टेढ़ी नाक ।
कुत्ता है या गधा है, फूट गईं हैं आँख ॥
फूट गईं हैं आँख, नशा करके आए हो
बिना बात सुबह-सुबह लड़ने आए हो
हमने कहा कि कौन आपसे जूझ रहे हैं
यह सवाल तो हम कुत्ते से पूछ रहे हैं

अन्य 

पक्के गायक / काका हाथरसी हास्य कविता Hasya kavita

तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप।
साज़ मिले पंद्रह मिनट. घंटाभर आलाप॥
घंटाभर आलाप, राग में मारा गोता
धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता
कहें 'काका', सम्मेलन में सन्नाटा छाया।
श्रोताओं में केवल हमको बैठा पाया
कलाकार जी ने कहा, होकर भाव-विभोर।
काका ! तुम संगीत के प्रेमी हो घनघोर॥
प्रेमी हो घनघोर, न हमने सत्य छिपाया।
अपने बैठे रहने का कारण बतलाया॥
'कृपा करें' श्रीमान ! मंच का छोड़ें पीछा।
तो हम घर ले जाएं अपने फर्श-गलीचा॥

अन्य 

व्यंग्य एक नश्तर है / काका हाथरसी हास्य कविता Hasya kavita

व्यंग्य एक नश्तर है
ऐसा नश्तर, जो समाज के सड़े-गले अंगों की
शल्यक्रिया करता है
और उसे फिर से स्वस्थ बनाने में सहयोग भी।
काका हाथरसी यदि सरल हास्यकवि हैं
तो उन्होंने व्यंग्य के तीखे बाण भी चलाए हैं।
उनकी कलम का कमाल कार से बेकार तक
शिष्टाचार से भ्रष्टाचार तक
विद्वान से गँवार तक
फ़ैशन से राशन तक
परिवार से नियोजन तक
रिश्वत से त्याग तक
और कमाई से महँगाई तक
सर्वत्र देखने को मिलता है।

अन्य