यदि ईश्वर में विश्वास न हो,
उससे कुछ फल की आस न हो,
तो अरे नास्तिको! घर बैठे,
साकार ब्रह्म को पहचानो!
पत्नी को परमेश्वर मानो!
वे अन्नपूर्णा जग-जननी,
माया हैं, उनको अपनाओ।
वे शिवा, भवानी, चंडी हैं,
तुम भक्ति करो, कुछ भय खाओ।
सीखो पत्नी-पूजन पद्धति,
पत्नी-अर्चन, पत्नीचर्या
पत्नी-व्रत पालन करो और
पत्नीवत् शास्त्र पढ़े जाओ।
अब कृष्णचंद्र के दिन बीते,
राधा के दिन बढ़ती के हैं।
यह सदी बीसवीं है, भाई !
नारी के ग्रह चढ़ती के हैं।
तुम उनका छाता, कोट, बैग,
ले पीछे-पीछे चला करो,
संध्या को उनकी शय्या पर
नियमित मच्छरदानी तानो!
पत्नी को परमेश्वर मानो।
तुम उनसे पहले उठा करो,
उठते ही चाय तयार करो।
उनके कमरे के कभी अचानक,
खोला नहीं किवाड़ करो।
उनकी पसंद के कार्य करो,
उनकी रुचियों को पहचानो,
तुम उनके प्यारे कुत्ते को,
बस चूमो-चाटो, प्यार करो।
तुम उनको नाविल पढ़ने दो
आओ कुछ घर का काम करो।
वे अगर इधर आ जाएं कहीं ,
तो कहो-प्रिये, आराम करो!
उनकी भौंहें सिगनल समझो,
वे चढ़ीं कहीं तो खैर नहीं,
तुम उन्हें नहीं डिस्टर्ब करो,
ए हटो, बजाने दो प्यानो!
पत्नी को परमेश्वर मानो!
तुम दफ्तर से आ गए, बैठिए!
उनको क्लब में जाने दो।
वे अगर देर से आती हैं,
तो मत शंका को आने दो।
तुम समझो वह हैं फूल,
कहीं मुरझा न जाएं घर में रहकर!
तुम उन्हें हवा खा आने दो,
तुम उन्हें रोशनी पाने दो,
तुम समझो 'ऐटीकेट' सदा,
उनके मित्रों से प्रेम करो।
वे कहाँ, किसलिए जाती हैं-
कुछ मत पूछो, ऐ 'शेम' करो !
यदि जग में सुख से जीना है,
कुछ रस की बूँदें पीना है,
तो ऐ विवाहितो, आँख मूँद,
मेरे कहने को सच मानो!
पत्नी को परमेश्वर मानो।
मित्रों से जब वह बात करें,
बेहतर है तब मत सुना करो।
तुम दूर अकेले खड़े-खड़े,
बिजली के खंबे गिना करो।
तुम उनकी किसी सहेली को
मत देखो, कभी न बात करो।
उनके पीछे उनके दराज से
कभी नहीं उत्पात करो।
तुम समझ उन्हें स्टीम गैस,
अपने डिब्बे को जोड़ चलो।
जो छोटे स्टेशन आएं तुम,
उन सबको पीछे छोड़ चलो।
जो सँभल कदम तुम चले-चले,
तो हिन्दू-सदगति पाओगे,
मरते ही हूरें घेरेंगी,
तुम चूको नहीं, मुसलमानो!
पत्नी को परमेश्वर मानो!
तुम उनके फौजी शासन में,
चुपके राशन ले लिया करो।
उनके चेकों पर सही-सही
अपने हस्ताक्षर किया करो।
तुम समझो उन्हें 'डिफेंस एक्ट',
कब पता नहीं क्या कर बैठें ?
वे भारत की सरकार, नहीं
उनसे सत्याग्रह किया करो।
छह बजने के पहले से ही,
उनका करफ्यू लग जाता है।
बस हुई जरा-सी चूक कि
झट ही 'आर्डिनेंस' बन जाता है।
वे 'अल्टीमेटम' दिए बिना ही
युद्ध शुरू कर देती हैं,
उनको अपनी हिटलर समझो,
चर्चिल-सा डिक्टेटर जानो!
पत्नी को परमेश्वर मानो।
उससे कुछ फल की आस न हो,
तो अरे नास्तिको! घर बैठे,
साकार ब्रह्म को पहचानो!
पत्नी को परमेश्वर मानो!
वे अन्नपूर्णा जग-जननी,
माया हैं, उनको अपनाओ।
वे शिवा, भवानी, चंडी हैं,
तुम भक्ति करो, कुछ भय खाओ।
सीखो पत्नी-पूजन पद्धति,
पत्नी-अर्चन, पत्नीचर्या
पत्नी-व्रत पालन करो और
पत्नीवत् शास्त्र पढ़े जाओ।
अब कृष्णचंद्र के दिन बीते,
राधा के दिन बढ़ती के हैं।
यह सदी बीसवीं है, भाई !
नारी के ग्रह चढ़ती के हैं।
तुम उनका छाता, कोट, बैग,
ले पीछे-पीछे चला करो,
संध्या को उनकी शय्या पर
नियमित मच्छरदानी तानो!
पत्नी को परमेश्वर मानो।
तुम उनसे पहले उठा करो,
उठते ही चाय तयार करो।
उनके कमरे के कभी अचानक,
खोला नहीं किवाड़ करो।
उनकी पसंद के कार्य करो,
उनकी रुचियों को पहचानो,
तुम उनके प्यारे कुत्ते को,
बस चूमो-चाटो, प्यार करो।
तुम उनको नाविल पढ़ने दो
आओ कुछ घर का काम करो।
वे अगर इधर आ जाएं कहीं ,
तो कहो-प्रिये, आराम करो!
उनकी भौंहें सिगनल समझो,
वे चढ़ीं कहीं तो खैर नहीं,
तुम उन्हें नहीं डिस्टर्ब करो,
ए हटो, बजाने दो प्यानो!
पत्नी को परमेश्वर मानो!
तुम दफ्तर से आ गए, बैठिए!
उनको क्लब में जाने दो।
वे अगर देर से आती हैं,
तो मत शंका को आने दो।
तुम समझो वह हैं फूल,
कहीं मुरझा न जाएं घर में रहकर!
तुम उन्हें हवा खा आने दो,
तुम उन्हें रोशनी पाने दो,
तुम समझो 'ऐटीकेट' सदा,
उनके मित्रों से प्रेम करो।
वे कहाँ, किसलिए जाती हैं-
कुछ मत पूछो, ऐ 'शेम' करो !
यदि जग में सुख से जीना है,
कुछ रस की बूँदें पीना है,
तो ऐ विवाहितो, आँख मूँद,
मेरे कहने को सच मानो!
पत्नी को परमेश्वर मानो।
मित्रों से जब वह बात करें,
बेहतर है तब मत सुना करो।
तुम दूर अकेले खड़े-खड़े,
बिजली के खंबे गिना करो।
तुम उनकी किसी सहेली को
मत देखो, कभी न बात करो।
उनके पीछे उनके दराज से
कभी नहीं उत्पात करो।
तुम समझ उन्हें स्टीम गैस,
अपने डिब्बे को जोड़ चलो।
जो छोटे स्टेशन आएं तुम,
उन सबको पीछे छोड़ चलो।
जो सँभल कदम तुम चले-चले,
तो हिन्दू-सदगति पाओगे,
मरते ही हूरें घेरेंगी,
तुम चूको नहीं, मुसलमानो!
पत्नी को परमेश्वर मानो!
तुम उनके फौजी शासन में,
चुपके राशन ले लिया करो।
उनके चेकों पर सही-सही
अपने हस्ताक्षर किया करो।
तुम समझो उन्हें 'डिफेंस एक्ट',
कब पता नहीं क्या कर बैठें ?
वे भारत की सरकार, नहीं
उनसे सत्याग्रह किया करो।
छह बजने के पहले से ही,
उनका करफ्यू लग जाता है।
बस हुई जरा-सी चूक कि
झट ही 'आर्डिनेंस' बन जाता है।
वे 'अल्टीमेटम' दिए बिना ही
युद्ध शुरू कर देती हैं,
उनको अपनी हिटलर समझो,
चर्चिल-सा डिक्टेटर जानो!
पत्नी को परमेश्वर मानो।
अन्य
- नाजायज बच्चे / हुल्लड़ मुरादाबादी हास्य कविता Hasya Kavita
- क्या बताएँ आपसे / हुल्लड़ मुरादाबादी हास्य कविता Hasya Kavita
- भारतीय रेल / हुल्लड़ मुरादाबादी हास्य कविता Hasya Kavita
- पत्नी को परमेश्वर मानो / गोपालप्रसाद व्यास हास्य कविता Hasya kavita
- साला ही गरम मसाला है / गोपालप्रसाद व्यास हास्य कविता Hasya kavita
- साली क्या है रसगुल्ला है / गोपालप्रसाद व्यास हास्य कविता Hasya kavita
- आराम करो / गोपालप्रसाद व्यास हास्य कविता Hasya kavita
- तुम से आप / अशोक चक्रधर हास्य कविता Hasya kavita
- नया आदमी / अशोक चक्रधर हास्य कविता Hasya kavita
- तो क्या यहीं? / अशोक चक्रधर हास्य कविता Hasya kavita
- सिक्के की औक़ात / अशोक चक्रधर हास्य कविता Hasya kavita
- फिर तो / अशोक चक्रधर हास्य कविता Hasya kavita
- ससुर जी उवाच / अशोक चक्रधर हास्य कविता Hasya kavita
- कौन है ये जैनी? / अशोक चक्रधर हास्य कविता Hasya kavita
- खटमल-मच्छर-युद्ध / काका हाथरसी हास्य कविता Hasya kavita
- व्यर्थ / काका हाथरसी हास्य कविता Hasya kavita
- चोरी की रपट / काका हाथरसी हास्य कविता Hasya kavita
- आधुनिकता / काका हाथरसी हास्य कविता Hasya kavita
- मरने से क्या डरना / काका हाथरसी हास्य कविता Hasya kavita
- सवाल में बवाल / काका हाथरसी हास्य कविता Hasya kavita
- पक्के गायक / काका हाथरसी हास्य कविता Hasya kavita
- व्यंग्य एक नश्तर है / काका हाथरसी हास्य कविता Hasya kavita
- दागो, भागो / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- फ़िल्मी निर्माताओं से / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- कवि सम्मेलन / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- शायरी का इंक़लाब / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- मजनूं का बाप / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- गांधी की गीता / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- यहाँ कौन सुखी है / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- अप्रेल फूल / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- "कब मर रहे हैं?" / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- एक से एक बढ़ के / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- तू-तू, मैं-मैं / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- उल्लू बनाती हो? / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- औरत पालने को कलेजा चाहिये / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- पुराना पेटीकोट / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- चल गई (कविता) / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- देश के लिये नेता / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- दफ़्तरीय कविताएं / शैल चतुर्वेदी Hasya kavita
- मूल अधिकार / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- हे वोटर महाराज / शैल चतुर्वेदी Hasya kavita
- पेट का सवाल है / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- आँख और लड़की / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- भीख माँगते शर्म नहीं आती / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
- एक बेरोज़गार मित्र / शैल चतुर्वेदी हास्य कविता Hasya kavita
शानदार सर, वाकई में आपमें लिखने के हुनर के साथ-साथ पाठकों के दिलों पर राज करने की एक अभिन्न कला है| ऐसे ही लिखते रहें हमारी शुभकामनाएँ आपके साथ है|
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार